A REVIEW OF SHIV CHAISA

A Review Of Shiv chaisa

A Review Of Shiv chaisa

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एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥

अर्थ: हे भगवन, देवताओं ने जब भी आपको पुकारा है, तुरंत आपने उनके दुखों का निवारण किया। तारक जैसे राक्षस के उत्पात से परेशान देवताओं ने जब आपकी शरण ली, आपकी गुहार लगाई।

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥

समझनी है जिंदगी तो पीछे देखो, जीनी है जिंदगी तो आगे देखो…।

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥

अर्थ: हे प्रभु वैसे तो जगत के नातों में माता-पिता, भाई-बंधु, नाते-रिश्तेदार सब होते हैं, लेकिन विपदा पड़ने पर कोई भी साथ नहीं देता। हे स्वामी, बस आपकी ही आस है, आकर मेरे संकटों को हर लो। आपने सदा निर्धन को धन दिया है, जिसने जैसा फल चाहा, आपकी भक्ति से वैसा फल प्राप्त किया है। हम आपकी स्तुति, आपकी प्रार्थना किस विधि से करें अर्थात हम अज्ञानी है प्रभु, अगर आपकी पूजा करने में कोई चूक हुई हो तो हे स्वामी, हमें क्षमा shiv chalisa in hindi कर देना।

In spite of a person’s social position or authority, By reciting this, they attain purity and victory. Even those who are childless and craving for needs, Will surely receive blessings throughout the grace of Lord Shiva.

जरत सुरासुर भए विहाला ॥ कीन्ही दया तहं करी सहाई ।

ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥

सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥ जो यह पाठ Shiv chaisa करे मन लाई ।

अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥

शनिदेव मैं सुमिरौं तोही। विद्या बुद्धि ज्ञान दो मोही॥ तुम्हरो नाम अनेक बखानौं। क्षुद्रबुद्धि मैं जो कुछ जानौं॥

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।

पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥

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